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Sunday, May 14, 2006

"परिश्रम"

सब चाहते है कुछ कर दिखाना,
पर सबका फसाना, मेहनत से जी चुराना ;
सबके सीने में होती हैं इक आग,
पर चाहते हैं सभी, अलादीन का चिराग |
परिश्रम ही सफलता की कुँजी है,
प्रत्येक को विरासत में मिली,
यह अमूल्य पूँजी है |
माना भाग्य का अपना महत्व है,
परंतु पुरुषार्थ से जीता न जा सके,
यह न ऐसा तत्व है |
परिश्रम ही वह हथियार है,
जो प्रत्येक परिस्थिति का प्रतिकार है ;
कठिनाईयों की प्रबल धारा में,
यही नाव, यही पतवार है |
स्वर्ग जाने के लिये भी, पहले मरना पड़ता है,
सफलता पाने के लिये,परिश्रम करना पड़ता है |

3 Comments:

Anonymous Anonymous said...

Shabdon ki jaadugari koi tumse seekhe....

10:26 AM  
Blogger Anusha said...

last two lines really made me think

U r very good sachin..keep writin..

4:55 AM  
Blogger Mohit Solanki said...

really nice one ... sabhi chahte hein aladin ka chiraag ... so true ...

start writing again .

8:34 AM  

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