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Thursday, April 12, 2018

शिकवे शिकायतों के दौर को रुख़सत करते है ,
चलो किसी महफ़िल में साथ शिरक़त करते है। 

कितना आसां है मुस्कुराना पूछो इन नादाँ बच्चो से ,
क्यों हम खुश होने को इतनी मशक्क़त करते है। 

ये महंगे शामियाने , ये  गालीचे क़ीमती ,
माँ की तुलसी के पौधे ही , घर में बरकत करते है। 

लिबास में तमगों के साथ तहज़ीब भी लगाना थोड़ी,
कुछ दाने मिठास के ही पानी को शरबत करते है। 

सो लेने दो सुस्ता कर कुछ देर और आज सुबह ,
बीमार तो वो भी पड़ते है जो अल-सुबह क़सरत करते है।  
            - "सचिन" 

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