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Saturday, February 19, 2011

सब बढ़िया है यार

मैं हमेशा खुश रहता हूँ,
चाहे मेरे चेहरे पर खिलखिला रहीं हो हँसी,
या तैर रही हो उदासी,
उंगलिया नोंच रहीं हो बचे-खुचे बाल,
या तनाव विचित्र बना रहा हो चेहरे का आकार,
क्योंकि कोई कभी भी पूछे, "क्या चल रहा है भाई ?",
तो आये वही रटा हुआ जवाब , "सब बढ़िया है यार" !!

मैं हमेशा खुश रहता हूँ,
चाहे शरीर में लगी हो कोई बीमारी,
या सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही हो
दोस्तों की उधारी,
भविष्य में नजर रहा हो अन्धकार ही अन्धकार,
और रातभर पढ़कर भी जब निकले कोई सार,
क्योंकि कोई कभी भी पूछे, "क्या चल रहा है भाई ?",
तो आये वही रटा हुआ जवाब , "सब बढ़िया है यार" !!

एक बार मैंने कोशिश की थी सचमुच खुश रहने की,
छोड़कर सारी दुनियादारी दिल की बातें कहने की,
उन चंद मुलाकातों को,
दिल कह गया सब जज्बातों को,
पर वह समझती थी केवल,
तर्क और ज्ञान(?) से भरी बातों को,
लगे तर्क, बने कुतर्क, निकले निष्कर्ष, निष्कर्ष पर,
दिल के टुकड़े बिखरे पड़े थे ,
ठन्डे, सूखे फर्श पर,
हर टुकड़े को नोंच रही उम्र, status, जात-पात,
और जाने क्या-क्या दुनियादारी,
आज आखरी बार मुझसे मिल रही थी,
वह व्यवहार कुशल नारी,
जब सुना रहा था वर्णन, हँस रहे थे सब यार,
तभी एक परिचित सज्जन गुजरते हुए पूछे, "
क्या चल रहा है भाई ?",
तो आया वही रटा हुआ जवाब , "सब बढ़िया है यार" !!

2 Comments:

Blogger Mohit Solanki said...

arey bhai kya baat hai .... maja aa gaya .. bahut badhiya hai yaar ;)

8:40 AM  
Blogger ओमी said...

badhiya ..welcome back ..aur post karo bhai

10:45 AM  

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