"तन्हा जिंदगी"
खाली सपने है,खाली है जिंदगी,
तन्हाई इतनी ना महसूस हुई कभी,
उस राह को तकती है आखें अब तक,
जिससे गुजर तू मुझे छोड़ गई थी कभी ॥
वह सूखा हुआ गुलाब, वो निशानी रुमाल की,
अब भी महफूज है वो चिट्ठियाँ,
दिल्लगी में जो तूने लिखी थी कभी ॥
प्यार की इमारत में जुड़ने को,
तरस रहा वह पत्थर आज तक,
दिल के अंदर तीर बनाकर,
जिस पर तेरा नाम लिखा था कभी ॥
सूख गया वह दरख्त,
अपने मिलने की खास जगह,
न आवाज आती है उस झरने के बहने की,
तेरी हँसी से जो गुंजती थी हरदम,
घूमा करते है उन गलियों में हम आज भी ॥
खाली सपने है,खाली है जिंदगी,
तन्हाई इतनी ना महसूस हुई कभी,
उस राह को तकती है आखें अब तक,
जिससे गुजर तू मुझे छोड़ गई थी कभी ॥
वह सूखा हुआ गुलाब, वो निशानी रुमाल की,
अब भी महफूज है वो चिट्ठियाँ,
दिल्लगी में जो तूने लिखी थी कभी ॥
प्यार की इमारत में जुड़ने को,
तरस रहा वह पत्थर आज तक,
दिल के अंदर तीर बनाकर,
जिस पर तेरा नाम लिखा था कभी ॥
सूख गया वह दरख्त,
अपने मिलने की खास जगह,
न आवाज आती है उस झरने के बहने की,
तेरी हँसी से जो गुंजती थी हरदम,
घूमा करते है उन गलियों में हम आज भी ॥