"असमंजस"
किसी ने मुझे दिया है दबा,
या फिर मैं ख़ुद ही झुक गया हूँ ?
समय ने बढ़ा दी है अपनी गति,
या फिर मैं ख़ुद ही रुक गया हूँ ?
कर ज़ुल्म सितमग़र ने छीन ली आवाज़ मेरी,
या फ़िर अनसुनी से ख़ुद ही बन मूक गया हूँ ?
जिंदगी ने बदल दिया है मंज़िलो का पता,
या तीर बनकर खुद ही निशाने से चूक गया हूँ ?
मन की बगिया सुन पायेगी प्रेम पंछी का कलरव,
या बन के कोयल अपनी अमराईयों में कूक गया हूँ ?
"शायर ग़ुमनाम" फंस गया हूँ बवण्डर में कही,
या बदलना बदलती हवाओं के साथ रुक गया हूँ ?